गंगोलीहाट

गंगोलीहाट में पारंपरिक ऐपण कला को खूबसूरती से उकेरा कपड़े पर

पिथौरागढ़: परियोजना समन्वयक डॉ छाया शुक्ला के संयोजन में कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय दशाईथल गंगोलीहाट की बालिकाओं ने पारंपरिक  ऐपण कला को खूबसूरती से कपड़े पर बनाने हेतु नवाचार एवं कौशल संवर्धन के सात दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रतिभाग करते हुए वसुधरा, सिंघानिया बेल एवं हिमाचली बेल के कांबिनेशन से लक्ष्मी चौकी बनाने की बारीकियां सीखीं।

तकनीकी नवाचार एवं कौशल संवर्धन द्वारा बालिकाओं ने ज्यामितीय टूल किट का प्रयोग करते हुए कपड़े पर आकर्षक डिजाइन बनाए। ऐपण के मूल्य संवर्धित उत्पाद उद्यमिता के क्षेत्र में अत्यंत डिमांडिंग विषय बने हुए हैं। पारंपरिक सांस्कृतिक मूल्यों को स्वयं में संजोए हुए ऐपण कला उत्तराखंड की संस्कृति को प्रदर्शित करने के साथ ही महिलाओं एवं बालिकाओं को नवोन्मेषी उद्यमिता के अनेक अवसर प्रदान करने में सक्षम है। 

गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर के कुलपति डॉ मनमोहन सिंह चौहान के मार्गदर्शन एवं नेतृत्व में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा वित्त पोषित एस सी एस पी परियोजना2024-25 में कपड़े, लकड़ी, स्टील एवं मिट्टी के बर्तनों आदि विभिन्न बेस मैटेरियल्स पर ऐपण कला द्वारा मूल्य संवर्धित उत्पाद बनाए जाने का प्रशिक्षण गंगोलीहाट विकासखंड के रनकोट एवं दशाईथल में दिया जा रहा है, जिससे कुल 85 प्रशिक्षणार्थियों द्वारा प्रतिभाग किया जा रहा है।

यह भी पढ़ें 👉  मुनस्यारी के ग्राम तल्ला भदेली में एक दुकान नदी में समाई जिले में 27 मोटर मार्ग बंद खतरे की जद में आ रहे 23 परिवारों को प्रशासन ने सुरक्षित स्थानों पर किया शिफ्ट

उत्तराखंड में ऐपण कला का इतिहास सदियों पुराना है, पर्वतीय क्षेत्रों में मूल रूप से घरों की देहली, मंदिर तथा अन्य पूजा स्थानों में फर्श की सजावट का यह एक सशक्त माध्यम होता है। इसे गेरू मिट्टी एवं चावल के महीन पेस्ट द्वारा हाथ की उंगलियों से बनाया जाता रहा है जिससे बिस्वार कहा जाता है। लाल एवं सफेद रंग से बने हुए ये डिजाइन अत्यंत आकर्षक लगते हैं। वर्तमान समय में ऐपण के मूल डिजाइंस को ज्यामितीय रूप से शुद्ध डिजाइंस में परिवर्तित कर इनका प्रयोग मूल्य संवर्धित उत्पाद बनाने में किया जा रहा है जिनकी स्थानीय ही नहीं वरन राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी डिमांड लगातार बढ़ रही है।

यह भी पढ़ें 👉  गंगोलीहाट के पाली गाँव में 10 वर्ष के बच्चे को गुलदार ने बनाया निवाला

परियोजना समन्वयक डॉ छाया शुक्ला ने कहा की महिलाएं एवं बालिकाएं तकनीकी नवाचार एवं कौशल विकास के प्रशिक्षण से ऐपण कला के क्षेत्र में सफल उद्यमी बन सकते हैं।सभी प्रशिक्षणार्थी अत्यंत उत्साह, लग्न एवं तत्परता के साथ इस कला में कौशल विकास एवं तकनीकी नवाचार सीख रहे हैं। परियोजना सह समन्वयक डॉ संध्या रानी ने कहा कि इस कला से बने हुए मूल्य संवर्धित उत्पादों को डिजिटल प्लेटफॉर्म जैसे इंस्टाग्राम, फेसबुक आदि के माध्यम से राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बहुत आसानी से पहुंचा सकते हैं।

यह भी पढ़ें 👉  थाना गंगोलीहाट पुलिस ने दो वारण्टियों को किया गिरफ्तार

 प्रशिक्षणार्थी प्रिया ने कहा कि यह अवसर हमारे लिए महत्वपूर्ण है और हम इस कला से जुड़े हुए शीर्ष लोगों के साथ बने समूह में जुड़ना चाहते हैं ताकि हम अपनी संस्कृति को संरक्षित एवं संवर्धित कर सकें और इस क्षेत्र में उद्यमी के रूप में अपनी सहभागिता सुनिश्चित कर सके। डौली चौहान के अनुसार अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित करने के साथ-साथ यह कला हमें आत्मनिर्भर एवं स्वावलंबी बनाने का एक सशक्त माध्यम है।

सुविख्यात प्रशिक्षक प्रियंका कपूर द्वारा प्रतिभागियों को कला की बारीकियां एवं मूल्य संवर्धित उत्पाद सृजन संबंधी जानकारी प्रदान की जा रही है। कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय की छात्रावास अभिरक्षक सुश्री रेनू शाह सहित समस्त अध्यापिकाओं का इस प्रशिक्षण शिविर आयोजन में सहयोग रहा है।

To Top