पिथौरागढ: न्याय के देवता के रूप में विख्यात श्रीगोलज्यू की रथयात्रा 25 अप्रैल को सीमांत मदकोट के बौना गांव की अति दुर्गम पहाड़ी धरतीधार से प्रारम्भ होगी। जिला मुख्यालय में यह यात्रा 26 अप्रैल को पहुंचेगी। यात्रा मार्ग पर जगह जगह लोग श्री गोलज्यूरथ का स्वागत करेंगे। 2200 किलोमीटर की इस यात्रा में उत्तराखंड राज्य स्थापना के दो दशकों की उपलब्धियों और खामियों पर भी एक दस्तावेज तैयार किया जाएगा।
यात्रा संयोजक और अपनी धरोहर संस्था के अध्यक्ष, पूर्व पुलिस महानिरीक्षक, अनुसूचित जनजाति आयोग के उपाध्यक्ष गणेश मर्तोलिया ने पत्रकार वार्ता में यह बात कही। कहा कि श्रीगोलज्यू रथयात्रा राज्य के भीतर उन 22 पौराणिक महत्व के आध्यात्मिक स्थलों तक पहुंचेगी जहां गोलज्यू स्वयं गए थे। इस यात्रा के जरिए पूरे राज्य को एकसूत्र में पिरोने का काम तो होगा ही, राज्य निर्माण के बाद की बदलती सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक,पर्यावरणीय, लोकजीवन का भी व्यापक अध्ययन किया जाएगा।
इन सब स्थितियों का समग्र दस्तावेज तैयार कर राज्य और केन्द्र सरकार को प्रस्तुत किया जाएगा ताकि लोगों के जीवनस्तर को दुरुस्त किया जा सके। उन्होंने कहा कि यह यात्रा उत्तराखंड के विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगी।अपनी धरोहर संस्था के सचिव विजय भट्ट ने कहा कि पूरे राज्य में इस यात्रा को लेकर लोगों में बहुत उत्साह है और बड़ी संख्या में लोग श्रीगोलज्यू संदेश यात्रा में भागीदारी कर रहे हैं प्रवासी उत्तराखंडी भी अपना योगदान कर रहे हैं। पिथौरागढ में सभी राजनैतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक संगठन इस यात्रा के संचालन में शामिल हैं।
उत्तराखंड राज्य बनने के बाद लोगों ने क्या खोया, क्या पाया, इस पर सभी लोगों की राय इस यात्रा के दौरान ‘गोलज्यू चौपाल’ में ली जाएगी। इसके लिए एक टीम इसी यात्रा में काम कर रही है।पत्रकार वार्ता में जिला संयोजक विप्लव भट्ट, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य जगदीश कलौनी, यात्रा संयोजक ललित पंत आदि शामिल थे।