पिथौरागढ़

सीमांत के गाँवों की बदलेगी तस्वीर 2420.86 लाख धनराशि के 99 कार्य किए गए स्वीकृत

पिथौरागढ़- जनपद के चार सीमांत क्षेत्र के विकास खण्डों धारचूला, मुनस्यारी, मूनाकोट एवं कनालीछीना में मुख्यमंत्री सीमांत क्षेत्र विकास योजना संचालित है। इन विकास खण्डों के गांवों में मूलभूत सुविधाओं के साथ ही  अवस्थापना विकास के अतिरिक्त विभिन्न विकास कार्य कराए जाएंगे।


 वर्तमान वित्तीय वर्ष 2021-22 हेतु जिले के इन चारों विकास खण्डों में मुख्यमंत्री सीमांत क्षेत्र विकास योजना की कार्ययोजना को अंतिम रूप दिए जाने के सम्बन्ध में एक बैठक जिला कार्यालय सभागार में जिलाधिकारी आनन्द स्वरूप की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई।बैठक में चारों विकास खण्डों के  विभिन्न गाँवों  में कौशल विकास,पर्यटन, कृषि,औद्यानिकी,शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल,लघु उद्योगों की अवसंरचना निर्माण के अतिरिक्त आजीविका सृजन,अवस्थापना विकास, विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम के साथ ही मॉडल गांव विकसित किए जाने हेतु विकास खण्डों से प्राप्त प्रस्तावों पर चर्चा करते हुए कार्ययोजना में विभिन्न प्रस्तावों को स्वीकृत किया गया।


 बैठक में चारों विकास खण्डों हेतु 2420.86लाख रुपये की धनराशि के कुल 99 कार्य स्वीकृत किए गए। जिसमें सीमा से 10 किलोमीटर दूरी/ऊपर के गांवों हेतु 1640.947 धनराशि के 76 कार्य तथा 0 से 10 किलोमीटर तक की दूरी के गांवों हेतु 778.302 की धनराशि के 23 कार्य प्रस्तावित किए गए।


बैठक में जिलाधिकारी ने कि इस योजना का मुख्य उद्देश्य सीमांत क्षेत्र के गांवों  में मूलभूत सुविधाएं जिसमें मुख्य रूप से शिक्षा,स्वास्थ्य, सड़क,रोजगार समेत अवस्थापना सुविधाएं विकसित करना है। ताकि इन गांवों से पलायन को रोका जा सके। जिलाधिकारी ने सभी खण्ड विकास अधिकारियों समेत विभिन्न विभागों के अधिकारियों को निर्देश दिए कि सभी कार्य समय पर प्रारम्भ होने के साथ ही कार्यों में गुणवत्ता हो। रोजगारपरक जो भी कार्य प्रस्तावित हैं, उनमें यह सुनिश्चित किया जाय कि अधिक से अधिक लाभार्थियों को इनका लाभ मिले।

कृषि,उद्यान,पशुपालन, मत्स्य विभाग कलस्टर तैयार कर कार्य करें, ताकि अधिक से अधिक स्थानीय लोगों को स्वरोजगार से जोड़ा जा सके। कार्ययोजना में चारों विकास खण्डों में विभिन्न औद्योगिक,कृषि,दुग्ध उत्पादन, औद्यानिकी,मत्स्य पालन, मशरूम उत्पादन आदि गतिविधियों को बढ़ाए जाने हेतु विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम भी प्रस्तावित किए गए। जिलाधिकारी ने कहा कि जो भी प्रशिक्षण कार्यक्रम कराए जाय वह क्षेत्र में ही रखे जाय तथा विशेषज्ञों का बेहतर  चयन हो। जिलाधिकारी ने सभी कार्यदाई संस्थाओं को निर्देश दिए कि योजनांतर्गत जिन भी भवनों का निर्माण किया जाएगा, उनके निर्माण से पूर्व उन सभी स्थलों का भू गर्भीय परीक्षण करा लिया जाय। 

    
 बैठक में प्रभागीय वनाधिकारी विनय कुमार भार्गव,मुख्य विकास अधिकारी अनुराधा पाल,पीडी डीआरडीए आशीष पुनेठा,सीवीओ डॉ विद्यासागर कापड़ी व विभिन्न विभागों के अधिकारी समेत वर्चुवल के माध्यम से चारों विकास खण्डों के खण्ड विकास अधिकारी उपस्थित रहे।

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