पिथौरागढ़: गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर के कुलपति डॉ मनमोहन सिंह चौहान के मार्गदर्शन में क्रियान्वित आई सी ए आर एस सी-एस पी परियोजना 2024-25 के अंतर्गत दिनांक 30 मई से 5 जून 2025 तक विकासखंड गंगोलीहाट के रणकोट एवं दशाईथल गांव में उत्तराखंड की पारंपरिक ऐपण कला में कौशल संवर्धन एवं तकनीकी नवाचार: आर्थिक सशक्तिकरण हेतु समन्वयन विषयक सात दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन समारोह आज दिनांक 5 जून 2025 को कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय दशाईथल मेंआयोजित किया गया।
प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए कार्यक्रम के मुख्य अतिथि यशवीर सिंह रावत जी ने कहा की सात दिवसीय प्रशिक्षण का यह अवसर दोनों गांवों की महिलाओं एवं किशोरियों के ऐपण कला कौशल को निखारने का स्वर्णिम अवसर है। सभी लोगों को इस अवसर का अधिक से अधिक लाभ उठाना चाहिए। ऐपण उत्तराखंड की पारंपरिक कला है और हमें इस पर गर्व होना चाहिए। राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसको पुनर्स्थापित करना हमारा कर्तव्य है। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम युवाओं को ऐपण कला के क्षेत्र में रोजगार के अवसर सृजित करने के साथ-साथ आर्थिक उन्नयन से भी जोड़ने का अभिनव प्रयास है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम की संयोजक एवं परियोजना समन्वयक डॉ छाया शुक्ला ने प्रशिक्षण के उद्देश्य के बारे में बताते हुए कहा की इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड की पारंपरिक ऐपण कला को महिला आजीविका एवं आर्थिक सशक्तिकरण से जोड़ना है। ऐपण कला के द्वारा तैयार किए जाने वाले मूल्य संवर्धित उत्पादों के अच्छे बाजार मूल्य के लिए इसके डिजाइंस का ज्यामितीय रूप से परिपक्व होना अत्यंत आवश्यक है।
सात दिवसीय इस कार्यशाला में प्रतिभाग करने वाले प्रशिक्षणार्थियों को ऐपण कला के मूल डिजाइन जैसे ओम्, स्वस्तिक, वसुधरा बेल, सिंघानिया बेल, हिमाचली बेल तथा उनके कॉन्बिनेशन से तैयार होने वाले विभिन्न डिजाइनों के बारे में विस्तार से बताया गया तथा ड्राइंग टूल्स के माध्यम से ज्यामितीय रूप से परिपक्व डिजाइन बनाने की तकनीकी सिखाई गई।स्केल, चांदा, गुनिया, प्रकार, सेट स्क्वायर के प्रयोग की बारीकियां तथा उनके प्रयोग से ज्यामिति रूप से परिपक्व डिजाइन तैयार कर कागज, कपड़े, स्टील के बर्तन, मिट्टी के बर्तन, लकड़ी की चौकी आदि पर ऐपण बनाना सिखाया। प्रशिक्षणार्थियों ने सिखाए गए कौशल एवं तकनीकी का प्रयोग कर पूजा की थाल, कलश, मिट्टी के दिए, पेन स्टैंड, स्टॉल्स, गणेश चौकी, लक्ष्मी चौकी, टेबल ऑर्गेनाइजर, नेम प्लेट, सजावटी समान आदि तैयार किया। प्रतिभागियों द्वारा बनाए गए ऐपण के मूल्य संवर्धित उत्पादों की एक आकर्षक प्रदर्शनी भी लगाई गई।
परियोजना से समन्वयक डॉ संध्या रानी ने बताया कि सभी प्रतिभागियों ने अत्यंत निष्ठा एवं लगन के साथ दिखाए गए कौशल एवं कला की तकनीकियों को सीख कर इन उत्पादों का निर्माण किया है। प्रशिक्षणार्थियों ने अपने अनुभव को साझा करते हुए बताया कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से उन्हें अपनी ही ऐपण कला को गहराई से जानने और समझने का मौका मिला है। ऐपण के मूल्य संवर्धित उत्पादों को उद्यमिता विकास के सशक्त माध्यम के रूप में अपनाने की प्रेरणा भी मिली है। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम सही अर्थों में कौशल संवर्धन एवं तकनीकी नवाचार के माध्यम से आर्थिक सशक्तिकरण हेतु समन्वयन का अनूठा एवं नवोन्मेषी अभिनव प्रयोग है।
इस अवसर पर रमेश चंद्र मौर्य खंड शिक्षा अधिकारी गंगोलीहाट, नीरज अधिकारी उप शिक्षा अधिकारी गंगोलीहाट, शैलेंद्र सिंह चौहान प्रधानाचार्य गवर्नमेंट इंटर कॉलेज दशाईथल, जोगिंदर बोहरा प्रेसिडेंट सेकेंडरी एजुकेशन गंगोलीहाट, रेणुका जोशी सदस्य पैरंट टीचर एसोसिएशन, राजेश आर्या एस टी ओ, हरीश अकाउंटेंट ट्रेजरी आदि ने संपूर्ण आयोजन एवं प्रशिक्षणार्थियों के प्रयासों की भूरि-भूरि प्रशंसा की। रणकोट गांव से प्रियांशी, करुणा, सिमरन, आकांक्षा, अनुष्का, रवीना, मीनाक्षी, शिवानी, संजीवनी, समीक्षा, प्रियांशी, विनीता, संतोषी, साक्षी, सरिता, सरोज, गंगा, गीता, आरती, किरण आदि तथा दशाईथल से पूनम भंडारी, पूजा भंडारी, निर्मला देवी, नीलम मेहरा, दीप्ति बोहरा,सुनीता पंत, ज्योति बोरा़, रेखा उप्रेती, नीलम कांडपाल, हिमानी, पूजा, नेहा, मेघा, शिवानी, रवीना, अंशिका, रेखा आदि सहित कुल 86 प्रशिक्षणार्थियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया।
