पिथौरागढ़

मनरेगा अनपुरक कार्य योजना बनने के समय में विर्तीय वर्ष की कार्य योजना भी तैयार नहीं कैसे मिलेगा प्रवासियों को रोजगार

वैश्विक महामारी कोरोना के चलते ग्रामीण इलाकों के मजदूरों की अर्थव्यवस्था को चौपट कर दिया गया है। मजदूरों के परिवारों पर आर्थिक संकट पैदा होने लगा है। सरकार द्वारा चलाई जा रही महत्वपूर्ण योजना मनरेगा के दावे भी सामने आने लगे है  1 अप्रैल से 31 मार्च तक श्रमिकों को मनरेगा से 100 दिन का रोजगार देने के दावे भी खोखले साबित होती दिखाई दे रही है। ग्राम पंचायतों में अक्टूबर 2020 में पंचायतों में बैठक कर प्रस्ताव तैयार कर लिए गए थे।

जो कार्य योजना 1 अप्रैल 2021 से लागू होनी थी, लेकिन जून माह के अंत तक भी तैयार नहीं है, मनरेगा की कार्ययोजना अभी तक पंचायतों के सामने नहीं आयी है। जो विभागीय अधिकारियों पर कई सवाल खड़े करता है। प्रधानों ने बताया विगत दिनों हुई बारिश से हर ग्राम पंचायतों में जगह जगह त्रासदी मचाई है, ग्रामीण क्षेत्रों में रास्तों की हालत चलने लायक नहीं है,

ऐसे में जब मनरेगा की अनपुरक कार्य योजना तैयार होनी चाहिए थी पर विभाग द्वारा अभी तक विर्तीय वर्ष की कार्ययोजना ही तैयार नहीं कि है। कार्य योजना अनुमोदित नहीं होने से प्रधानों ने नाराजगी जताते हुए कहा कोरोना महामारी के दौर में अपने ग्रह जनपद लौटे श्रमिकों के जॉब कार्ड तो विभाग ने बनवा दिए लेकिन नई कार्य योजना अनुमोदित नहीं होने से उन्हें रोजगार नहीं मिल पा रहा है।

ग्राम प्रधान किशन सिंह धामी ने बताया श्रमिकों द्वारा प्रधानों से रोजगार माँगे जा रहे है और कार्य योजना अनुमोदित नहीं होने से प्रधानों के सामने शंकट आ गया है। कई प्रवासियों ने गौशाला, मुर्गी बाड़ा, मछली तालाब बना कर अपना रोजगार शुरू करने का मन बनाया था लेकिन मनरेगा में हो रही ठिला थिलाई से फिर उनका मन शहरों में जाने को मोड़ दिया है।

मनरेगा के श्रमिक पवन कुमार ने बताया लॉक डाउन के दौरान कुछ काम नहीं मिलने से बकरी पालन का मन बनाया और अपनी रखी पूजी से बकरी खरीद ली और विगत दिनों हुई भारी बारिश से मकान की छत टूट गयी ग्राम पंचायत के प्रस्ताव में गौशाला लिखवाई थी लेकिन आज तक गौशाला नहीं आयी है विण ब्लाक जाकर इसकी जानकारी ली गयी और विभागीय कर्मचारियों ने कार्य योजना अभी अनुमोदित नहीं होने की जानकारी देते हुए टाल दिया।

श्रमिक पवन ने बताया सरकार भले ही 100 दिन का रोजगार देने की बात कर रही हो लेकिन धरातल में उतर कर पता चल रहा है विर्तीय वर्ष के 60 दिन कार्य योजना अनुमोदन में ही बीत गए।

वहीं जिला विकास अधिकारी गोपाल गिरी ने बताया कार्य योजना मार्च में तैयार होकर अप्रैल से स्टीमेट बनने शुरू हो जाते है। कार्ययोजना अनमोदित नहीं होने का प्रकरण अभी तक सामने नहीं आया था। सभी ब्लाकों में कार्ययोजना की जाँच की जा रही है

वहीं प्रधान संगठन के अध्यक्ष श्याम सुंदर सिंह सौन ने कहा शीघ्र ही कार्य योजना तैयार नहीं हुई तो प्रधान संगठन सड़कों में उतने को बाध्य होगा।

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