पिथौरागढ़: संस्कृति के साथ आजीविका का सशक्त माध्यम है उत्तराखंड की ऐपन कला: डा० छाया शुक्ला गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर द्वारा उत्तराखंड की पारंपरिक ऐपन कला में कौशल संवर्धन एवं तकनीकी नवाचार: आर्थिक सशक्तिकरण हेतु समन्वयन विषय पर डॉक्टर छाया शुक्ला के संयोजन में 17 से 23 मई, 2025 तक ग्राम उपरतोला एवं बालाकोट में आयोजित सात दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन समारोह ग्राम बालाकोट जनपद पिथौरागढ़ में आयोजित किया गया।
इस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए पिथौरागढ़ नगर निगम की अध्यक्ष कल्पना देवलाल ने कहा कि ऐपन कला उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत है। वर्तमान समय में इस कला के द्वारा अनेक अनेक प्रकार के मूल्य संबंधित उत्पाद बनाए जा रहे हैं। पारंपरिक ऐपन कला मैं तकनीकी नवाचार एवं कौशल संवर्धन द्वारा जहां एक और संस्कृति संरक्षण के प्रयास किया जा रहे हैं वही इसे आजीविका के सशक्त माध्यम के रूप में भी स्थापित किये जाने का प्रयास जारी है।
विभिन्न वस्तुओं पर ऐपन कला को प्रयोग करके अत्यंत आकर्षक एवं उपयोगी सामग्रियों का निर्माण किया जा रहा है जिनका की बाजार मूल्य काफी अच्छा है। दोनों ही गांवों में आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा वित्त पोषित एस सी सब प्लान परियोजना 2024- 25 के अंतर्गत आयोजित किया गया। परियोजना समन्वयक डॉ छाया शुक्ला ने बताया कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य उत्तराखंड के जन-जन को अपनी सांस्कृतिक विरासत ऐपन कला के प्रति जागरूक करना एवं इसमें तकनीकी नवाचार एवं कौशल संवर्धन समाहित करते हुए इसे आजीविका का सशक्त माध्यम बनाना है।
प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए जिला पंचायत अध्यक्ष / प्रशासक- ( जिला पंचायत पिथौरागढ)दीपिका बोरा ने कहा की प्रशिक्षण कार्यक्रम का अंत एक नई शुरुआत है। वर्तमान समय में हस्त निर्मित एवं मौलिक डिजाइनों के ऐपन कला उत्पादों को बहुत अत्यधिक पसंद किया जा रहा है तथा मार्केट में इसकी काफी डिमांड है। यह किशोरियों एवं महिलाओं को घर बैठे आजीविका अर्जित करने का ही साधन नहीं है बल्कि राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपना नाम रोशन करने का भी एक उत्कृष्ट माध्यम है।
महादेव फेडरेशन की अध्यक्ष कला देवी ने प्रतिभागियों को आश्वस्त किया कि अनुभवी एक्सपर्ट्स के द्वारा सिखायी गई ऐपन कला की बारीकियां को लगातार प्रयोग करते हुए इसमें और निखार लाएं तथा जो भी उत्पाद वे बनाएंगे उन्हें विभिन्न माध्यमों से बाजारों में विक्रय की समस्त जिम्मेदारी का निर्वहन कलावती जी स्वयं करेंगी।
उन्होंने समस्त प्रतिभागियों का आवाहन करते हुए कहा कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का भरपूर लाभ उठाने की जिम्मेदारी अब गांव की महिलाओं एवं बालिकाओं की है। बालिकाओं को इस क्षेत्र में सशक्त बनाकर स्वावलंबी बनाने के लिए जो भी प्रयास करना पड़ेगा वे अवश्य करेंगी। ग्राम प्रधान श्री कैलाश जी ने भी उपस्थित महिलाओं एवं बालिकाओं को आश्वस्त किया कि ऐपन कला के संरक्षण और संवर्धन एवं आजीविका के लिए इस कला के उपयोग में हर संभव सहायता उनके द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में ग्राम उपरतोला एवं बालाकोट की कुछ 70 महिलाओं एवं किशोरियों ने अत्यंत उत्साह के साथ प्रतिभाग किया। प्रशिक्षण आर्थियों ने इस सात दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम को आजीविका एवं महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक उत्कृष्ट प्रयास बताते हुए कहा कि उन्हें उम्मीद है भविष्य में भी इस प्रकार के कार्यक्रम यहां पर आयोजित किए जाते रहेंगे।
प्रशिक्षण के दौरान सभी प्रतिभागियों को प्रशिक्षण किट के रूप में दो-दो मीटर कपड़ा, हस्त निर्मित कागज, ड्राफ्टिंग टूल्स किट, कैंची, ड्राइंग बुक, नोटबुक, डस्टर, एक्रेलिक पेंट, फैब्रिक कलर, स्केल, पेंट ब्रश का सेट आदि दिए गए। इस किट को लेकर प्रशिक्षणार्थियों ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इसके माध्यम से उन्हें भविष्य में भी अपना कौशल निखारने में अत्यंत सहायता मिलेगी और वे सिखाए हुए कौशल का अभ्यास कर सकेंगे।
इस अवसर पर प्रशिक्षणार्थियों द्वारा बनाए गए ऐपन कला के मूल्य संवर्धित उत्पादों की एक आकर्षक प्रदर्शनी भी लगाई गई जिसमें ऐपन की गणेश चौकी, लक्ष्मी चौकी, पूजा की थाल, कलश, चाबी के गुच्छे, सजावटी सामान आदि प्रमुख रहे।प्रशिक्षण कार्यक्रम के एक्सपर्ट के रूप में निशा पुनेठा, प्रियंका कपूर, पूजा तथा अंजलि आदि का सहयोग रहा। प्रशिक्षण कार्यक्रम की सह-संयोजक डॉ संध्या रानी एवं डॉ स्वाति गर्बियाल रहे। संपूर्ण कार्यक्रम के सफल संयोजन में दीपक कुमार सहायक विकास अधिकारी (पंचायत ) करण , खगेंद्र बिष्ट, व कु रीतू पाण्डे, ग्राम पंचायत विकास अधिकारी हरीश आर्य जिला पंचायत राज अधिकारी, वैजयंती, प्रेमा, आरती आदि का अत्यधिक सहयोग रहा।
