रिपोर्ट- नीरज मेहता / धारचूला
धारचूला/ पिथौरागढ़ – हिमस्खलन के चलते आदि कैलाश यात्रा मार्ग बर्फ से ढाका है। जिसे खोलने के कार्य पर लगे बीआरओ को सफलता मिली है, चीन सीमा को जोड़ने वाला ये मार्ग सामरिक नजरिये से काफी अहम है। धारचूला बीआरओ के 65 आरसीसी ग्रिफ ने 14 से 19 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित गुंजी से ज्योलीकांग तक 35 किलोमीटर सड़क को यातायात के लिए खोल दिया है। इस मार्ग के बन्द होने से सुरक्षा एजेंसियों के साथ ही बॉर्डर के अंतिम गाँव कुटी में माइग्रेशन की गतिविधि ठप हो गयी थी। जिसे देखते हुए बीआरओ ने युद्ध स्तर पर कार्य करते हुए मार्ग को खोल दिया है। मार्ग खुलने से सीमा पर तैनात जवानों के साथ ही सीमांत में रहने वाले ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है। वहीं चीन सीमा करीब तक मार्ग खोलकर भारत ने फिर से अपनी मजबूत स्थिति दर्ज की है।बता दे बीआरओ ने पिछले साल गुंजी-कुटी-ज्योलीकांग तक सड़क का निर्माण कर दिया था। शीतकाल में सुरक्षाकर्मी और गांव के लोग नीचे की घाटियों में आ जाते है। मगर इस बार अधिक बर्फबारी और हिमस्खलन की वजह से ये मार्ग बंद हो गया था। जिसे खोलने में बीआरओ को दिन-रात कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। सड़क खुल जाने से व्यास घाटी के 7 गांव के साथ ही सीमा की तैनात सुरक्षा कर्मियों को आवागमन में राहत मिलेगी। व्यास घाटी के 7 गांव के लोग पूजा पाठ और अपने मृत व्यक्तियों के अस्थियां ज्योलीकांग तीर्थ स्थल में पहुँचाते है। मार्ग खुलने से उन्हें बड़ी राहत मिलेगी। बीआरओ के कमांडर कर्नल एन के शर्मा ने बताया कि सीमा में तैनात सुरक्षा कर्मियों की आवागमन में सुविधा हो साथ ही सीमान्त के लोगों को माइग्रेशन में जाने में दिक्कत ना हो इसे देखते हुए सड़क को खोलने के काम में तेजी लाई गई। अब सड़क खुल जाने पर सड़क निर्माण के अन्य कार्यों में भी तेजी आएगी।