अल्मोड़ा– उत्तराखण्ड में जीवन के हर पल धार्मिक पूजा पाठ उपवास एवं अनुष्ठानों का विशेष महत्व है। इसीलिए उत्तराखण्ड को देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है। आज वट सावित्री व्रत है, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कोई भी महिला वट सावित्री व्रत के दिन सच्ची भावना से पूजा पाठ करती है, उसे समस्त देवी देवताओं का आशिर्वाद मिलता है। कहते है कि माता सावित्री अपने पति के प्राणों को यमराज से छुड़ाकर ले आयी थी।उत्तराखण्ड में ज्येष्ठ माह की अमावस्या को वट सावित्री के दिन का सुहागिनी स्त्रियों के लिए विशेष महत्व है। अपने पति की लम्बी उम्र की कामना के लिए सुहागिनी स्त्रियां इस दिन व्रत रखती है और वट वृक्ष की पूजा अर्चना कर इसकी परिक्रमा लगाती है, अल्मोड़ा में भी सुहागिन महिलाओं ने अपने पति की लम्बी आयु की कामना के साथ घरों में सोशल डिस्टेंसिंग व मास्क के साथ वट सावित्री की पूजा अर्चना कर अपने पति की दीर्घायु के लिए वरदान मांगा। और कोरोना जैसी महामारी से निजाद देने की कामना की। महिलाओं ने कहा जहां आज सारे देश में करवाचौथ व्रत का महत्व काफी हो गया है। वहीं उत्तराखण्ड में और पहाड़ो में अब भी पौराणिक वट सावित्री व्रत की विशेष मान्यता है। एक पौराणिक कहावत के अनुसार सावित्री ने यमराज से अपने मृत पति के प्राण वापस मांग लिये थे। उसी से प्रेरित होकर सुहागिन स्त्रियां इस व्रत को करती हैं। महिलाओं ने कहा कि भले ही आज देश में करवाचौथ व्रत का चलन हो गया है। मगर हमारी पौराणिक मान्यता के अनुसार वट सावित्री व्रत एवं पूजा का विशेष महत्व है। सुहागिन स्त्रियां वट के पेड़ को रक्षा धागा अथवा कलावा बांधकर उसकी पूजा अर्चना करती हैं, और पति की लम्बी उम्र की कामना करती हैं। महिलाओं द्वारा बताया गया इस बार कोरोना महामारी के चलते लोग घरों में पूजा अर्चना कर इस व्रत को कर रही है उन्होंने कहा पति की दीर्घ आयु के साथ ही कोरोना जैसी महामारी को खत्म करने की भगवान से कामना की है। इस अवसर पर प्रेमा उप्रेती, गीता उप्रेती, सुमन,श्रृष्टि, मीनाक्षी, सोनी तिवारी सहित अन्य लोग मौजूद रहे।
अल्मोड़ा में वट सावित्री पर्व में पति की दीर्घायु के साथ कोरोना से मुक्त होने की महिलाओं ने की कामना
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